Friday, September 19, 2014

मेरी कहानी

ये मेरी कहानी है
इसे मैं ही लिखूंगा

तुम्हें जो लिखना था
तुमने लिख दिया

अब मेरी बारी है
अपनी मंजिल तय करने की

जितना देना था तुमने दे दिया
मालूम है तुम और भी दोगे

लेकिन मुझे जो चाहिए
वो नसीब नहीं हुआ

ये मेरी कहानी है
इसे मैं ही लिखूंगा

Saturday, September 6, 2014

ऐसा क्यों ?

साईं ने सोचा ना था ऐसा दिन आएगा
चढ़ावे की चाहत में कोई उनका ‘गला दबाएगा’

धर्मसंसद करके करेगा विधाता की बात 
पाखंडपूर्ण तरीके से लोगों को भरमाएगा

धर्म का झंडा उठाकर करेगा अधर्म की बात
धर्मांध होना लोगों को सिखाएगा 
साईं ने सोचा ना था ऐसा दिन आएगा