Tuesday, March 16, 2010

कलम का सौदा

कलम का कलाकार हूँ
लेकिन...
मेरी इस कलाकारी का
कभी-कभार सौदा हो जाता है

कलम के सौदागर
इस बाज़ार में भरे पड़े हैं
जो गाहे- बगाहे
ऐसी सौदेबाज़िया करते rahte हैं

आप कहेंगें
मैं कितना बेशर्म हूँ
लेकिन क्या करूँ
अपने और अपनों के लिए
बेशर्मी दिखानी पड़ती है...

Thursday, March 11, 2010

मुर्दाखोर!

शमशान सा सन्नाटा पसरा है
लाश लेने के लिए परिजन
अस्पताल में खड़े है
मोलभाव जारी है
यहाँ...
हैसियत के हिसाब से
कीमत तय होती है

शमशान घाट में भी
अस्पताल सरीखे...
पैसों के लिए
मुंह बाये खड़े रहते है
हैसियत से यहाँ भी हिसाब होता है

शायद ये कलयुग के मुर्दाखोर हैं
जो मरने के बाद भी
लाश की बोटी नोचने के लिए
तैयार बैठे रहते हैं...