कलम की काली स्याही से...
Saturday, April 24, 2010
तपती धरती... तपता मन
तप रहा है सूरज
तप रही है धरती
धरती के तपने से
तप रहे हैं लोग
अब तो समाज के तपने से
तपने लगा है मेरा मन !
Friday, April 9, 2010
गोदना
गोदना से होता था
औरतों का श्रृंगार
औरतें गुदवाती थी
इसे अपने बाजू , पैर
और कभी-कभी पूरे शरीर पर
पुरुषों का भी प्रिय
रहा है गोदना
पहले काले रंग का होता था ये
समय के साथ
इसने बदला है अपना रंग और रूप
रंग के साथ इसने नाम भी है बदला
टैटू का नाम तो अपने सुना ही होगा
Saturday, April 3, 2010
पानी
पहले हम लिखते थे
पानी की कलकल
और...
उसमे कलरव करते
पंछियों के बारे में
अब हम लिखते है
बोतल में बंद पानी के रहस्य
और ...
सुनामी रूपी सैलाब के बारे में
क्या पानी सिर्फ
हाहाकार मचाता रहेगा
या फिर...
पानी के लिए हाहाकार मचता रहेगा !
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)