Saturday, April 24, 2010

तपती धरती... तपता मन

तप रहा है सूरज
तप रही है धरती

धरती के तपने से
तप रहे हैं लोग

अब तो समाज के तपने से
तपने लगा है मेरा मन !

2 comments:

  1. आपने बहुत दिनों से कुछ लिखा नहीं है. आप लिखते रहें, अच्छा लगता है

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