Thursday, March 11, 2010

मुर्दाखोर!

शमशान सा सन्नाटा पसरा है
लाश लेने के लिए परिजन
अस्पताल में खड़े है
मोलभाव जारी है
यहाँ...
हैसियत के हिसाब से
कीमत तय होती है

शमशान घाट में भी
अस्पताल सरीखे...
पैसों के लिए
मुंह बाये खड़े रहते है
हैसियत से यहाँ भी हिसाब होता है

शायद ये कलयुग के मुर्दाखोर हैं
जो मरने के बाद भी
लाश की बोटी नोचने के लिए
तैयार बैठे रहते हैं...

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